* ट्रेवलिंग के दौरान जब शहर के बाहर या उससे भी कही ज्यादा दूर कुछ बहुत छोटे से मिट्टी के झोपडी़नूमा घर जरूर दिख जाते है जिनमे स्पेस बहुत ही कम होता है । कभी सोचा कैसे रहते है उसमे पूरे परिवार ?
* हर इंसान ने अपनी लाइफ मे शारीरिक तौर पर विकलांग व्यक्तियों को जरूर देखा होगा । ऐसे लोगो की भी इच्छा होती होगी न्यू फैशन ट्रेंड फॉलो करने की गुड लुक्स की कितनी बार दुखी होते होंगे ??
* स्कूल से लेकर मौजूदा समय मे किसी न किसी को तो देखा होगा जिसके पैरेंटस या कोई गॉर्जन नही होता मतलब कोई नही अच्छा बुरा बताने के लिए, प्यार से बात करने के लिए, एक सेक्योरिटी प्रोवाइड करने के लिए। अच्छा बुरा सही गलत सबकी जिम्मेदारी स्वयं पर ही है ।
* उनमे से बहुत से लोग ऐसे भी होते है जिनके पास कोई फाइनेंशियल बैकअप नही होता आज जितनी मेहनत की है सिर्फ उतने ही पैसे उनके पास है कल क्या करेंगे किसी को नही पता ।
ये सब देखने के बाद महसूस होता है कि हमे भगवान जी ने बहुत अच्छा जीवन दिया है । समस्याएं तो सबके जीवन की सुविधाओं की को-पार्टनर है
मतलब जावेद अख्तर ने सही कहा है -
" ज़िन्दगी है तो ख्वाब हैं , ख्वाब हैं तो मंज़िलें हैं |
मंज़िलें हैं तो फासले हैं, फासले हैं तो रास्ते हैं |
रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं, मुश्किलें हैं तो हौसला है |
हौसला है तो विश्वास है क्यूंकि 'फाइटर' हमेशा जीतता है "