आखिरकार मै लिख रही हूँ एक ऐसे विषय पर जिसे करीब एक साल से लिखना चाहती थी ।
शायद यही सही समय भी है जब लोग इसे न सिर्फ पढ़ेगें बल्कि महसूस भी कर सकेंगे।
क्योकि काफी समय से लगभग सभी लोगो ने काफी बुरे दौर से गुजरे होंगे। लेकिन उम्मीद है इसके बाद भी अच्छे भविष्य की कामना कर आगे बढ़े होंगे
कोरोनाकाल मे लगभग सभी के कुछ न कुछ बुरे अनुभव रहे होंगे मुझे नही लगता कि सभी अभीतक वही रूके हुए है लगभग सब एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ चूके है ।
तो बात यंहा सिर्फ एक सकारात्मक दृष्टिकोण की है
एक इंसान अपने जीवन मे कई अच्छे बुरे अनुभवो से गुजरता है और फिर नए लक्ष्य के लिए एक सकारात्मक सोच और प्रसन्न मन के साथ आगे बढ़ता है जो मनुष्य की प्रकृति है ।
लेकिन विपरीत परिस्थिति मे जब इंसान अतीत की बुरी परछाईयो मे फंसकर वही ठहर जाता है उसका परिणाम ये होता है कि कुछ लोग तो अपना बाहरी आवरण साधारण रखकर मन ही मन धुटते रहते है लेकिन कुछ लोग उस बुरे अनुभव को पालकर एक जहर बना देते है और उसे धीरे धीरे समाज मे घोलना शुरू करते है ।
लगभग एक साल पहले की बात है एक साेशल मीडिया साइट पर मैने कुछ लोगो का एक गैंग देखा। जिसे एक जाने माने बिजनेसमैन ने प्रमोट किया था जिसकी वजह से वो ग्रुप जीरो से हीरो बन गया लेकिन उन लोगो के सभी पोस्ट महिला विरोधी हुआ करते थे। उनकी पोस्ट से पता चलता था कि वो महिलाओ के लिए कितना अपमानजनक दृष्टिकोण रखते थे
कईबार मेरे आपत्ति जताने पर उनकी पोस्ट को सपोर्ट करने वालो से मेरी डिबेट हो जाती लेकिन धीरे धीरे ग्रुप के सभी हैंडल्स ने मुझे ब्लाक करना शुरू कर दिया नियमानुसार मै भी उनको ब्लाॅक करती गयी लेकिन ये कोई हल नही था ऐसी सोच का ।
भाषा इतनी गलत थी कि मै पिक भी नही ऐड करना चाहती ऐसे लोगो की पोस्ट के,
लोग बड़ी बड़ी बाते करते है महिला सशक्तीकरण के लिए उसके पीछे उनकी घटिया सोच ये होती है कुछ लोग पोस्ट करते है जिनका न जाने कितने लोग तालिया बजाकर सपोर्ट करते है और वही पर जो उनका विरोध करते है तो वही लोग आ जाते है उसे सही साबित करने के लिए। शायद मानसिक अपंगता इसे ही कहते है ।
लेकिन ऐसे लोगो की हालत और सोच पर सिर्फ खेद व्यक्त किया जा सकता है ये सोचकर कि हो सकता है किसी महिला ने इनके साथ इतना बुरा किया होगा जिसकी वजह से उनकी ये सोच है लेकिन क्या ऐसे लोगो के जीवन मे ऐसी कोई महिला (मां, बहन, चाची, दादी ,नानी या कोई रिश्तेदार या जान पहचान वाली ) नही थी जिससे प्रभावित होकर ये कह सकते हो कि सभी महिलाएँ एक जैसी नही होती ।।
इसी प्रकार ये बाते उन महिलाओंं पर भी लागू होती है जो पुरूष के प्रति समाज मे नफरत का जहर धोलती है लेकिन मेरा अभी तक ऐसी महिलाओ से सामना नही हुआ है।
इसका एक पहलू और भी है वो लोग जो शादी / विवाह जैसी रश्म/ रिवाजो से नफरत करते है।
तो करो नफरत !
दूर रहो इनसे !
विवाह निमंत्रण भी मत स्वीकार करो !
संयास लेना है ? बेशक लो जिसके बाद हिमालय क्या सीधा
अंटार्कटिका जाओ लेकिन अपनी नफरत का जहर से बाकी लोगो को दूर रखो । तरस आती है ऐसी सोच पर !
हो सकता है ऐसे लोग किसी के धोखे या बुरे इंसान के शिकार हुए हो लेकिन क्या ऐसे लोगो ने अपने जीवन मे कभी ऐसे कपल्स नही देखे जो सबके लिए प्रेरणादायक हो क्योकि इंसान अपने जीवन मे कई पेयर्स के संपर्क रहता है जिनमे से कम से कम एक तो लजबाब या मेड फॉर ईच अदर होते है
अगर कोई नही तो माता पिता तो सबके प्रेरणादायक ही होते है ।।
अगर किसी के माता पिता की एक दूसरे से उनके बचपन मे उनके सामने ही बहुत ज्यादा नफरत भरा दुर्व्यवहार किया गया हो तब तो ये सोच समझ आती है लेकिन बाकी के लोग जो ऐसा सोचते है उन्हे परिपक्कता की जरूरत है ।
आगे बढ़ते है मुझे ऐसे लोगो की ज्यादा बात ही नही करनी है।
जरा सोचिए अपने मन का जहर समाज मे घोलना कितना सही है एक खास जेंडर का महिमा मंडन करके बाकी लोगों को हीनता की भावना से देखना, ऐसे पोस्ट/बाते सोशल मीडिया या सार्वजनिक जगह पर करना कितना सही है
क्या सभी महिलाएँ /पुरूष गलत, चालू, धोखेबाज, स्वार्थी होते है ?? क्या नही देखे किसी ने श्रेष्ठ, प्रेरणादायक महिलाएँ/पुरूष ??
क्या शादी/ विवाह करने वाले सभी लोग परेशान या कैद है??
क्या सभी शादियॉ बुरी होती है ?? अगर हाँ तो बैडलक आपका है हर चीज मे बुराईयां या कमियां निकालना बंद कीजिये कोई भी इंसान परफेक्ट नही होता ।
अगर कुछ भी अच्छा चाहिए तो पहले स्वंय को उस लायक बनाओ ।।
वैसे दुनिया इतनी बुरी भी नही है ।।