एक वक्त था जब लगता था कि वक्त के साथ सब कुछ नया और बेहतर होता जाता है लेकिन शायद हम वक्त के उस दौर मे प्रवेश ले चुके है जहां लोगो ने अपनी बुद्धिमत्ता का त्याग कर दिया है क्योकि मन मे लोभ और स्वार्थ ने काफी जगह ली हुई है समाज मे हर विषय वस्तु को नियंत्रित रखने के लिए कुछ नियम कानून बनाएं गए थे लोगो ने उसकी अनदेखी को ही आधुनिकता का नाम दे दिया है भारतवासियो की आदत है पहले लालच मे पड़कर धोखा खाते है और उसके बाद बाद भी धोखा देने वाले का कुछ खास एक्शन नही ले पाते शायद यही फितरत जानकर ब्रिटिश भारत आए थे और क्या सिर्फ ब्रिटिश ही आए ।
बात कुछ साल पहले की है जब भारतीय स्टॉक मार्केट मे शेल कम्पनियो की भरमार थी मतलब अगर नया निवेशक इनपर रिसर्च करे तो पता लगाना असम्भव था क्योकि ये अपने कारपोरेट एक्शन शो करती थी सारी फारमलिटी मैनेज रखती थी कभी कभी तो टिप्स सर्विस वाले भी इंहे रिक्मांड कर देते थे जिससे ये जेनयून लगती लेकिन यो कहना गलत नही होगा कि मोदी सरकार ने इसपर पूरी तरह से लगाम लगाई लेकिन कहते है न एक खतरे के बाद दूसरा खतरा तैयार रहता है कुछ वैसा ही है न यू एज स्टार्ट-अप का मार्केट मे लिस्ट होना आप देखिए ये ऐसे विहेव कर रहे है जैसे नियम कानून इनके लिए मायने नही रखते और मै ये देख रही हू तो क्या मार्केट रेग्यूलेचर सेबी को नोटिस क्यो नही कर रहा है
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