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Tuesday, 18 March 2025

चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी था बढ़ती जा रही हैं वे जैसे बढ़ते बाल, जैसे बढ़ते हैं नाखून , और आश्चर्य कि किसी को वह गड़ती तक नहीं. 

बट इटस मी कबतक चुप रहू ?? 🙆

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