पैसा सिर्फ आलसी महिलाओं को आकर्षित करता है जब एक महिला कठिन परिश्रम करती है तो पुरूष का पैसा उसके लिए सिर्फ वोनस है न कि सफलता की सीढी़ । आजकल के समाज मे आपने गोल्ड डिगर महिलाओं की बहुलता देखी होगी पर क्या आपने देखी है कभी कोल डिगर ???
एक कहानी के जरिये मिलाते है आपको कोल डिगर्स से और सोचिए आपके आसपास भी ये जरूर होगी बस नजरिया बदलिए-
एक छोटे से गाँव में रामलाल का परिवार रहता था। घर बहुत गरीब था। टूटी झोपड़ी, कच्ची दीवारें और छप्पर से टपकता पानी ही उनकी ज़िंदगी की पहचान थी। घर के चूल्हे में रोज़ धुआँ उठे, ये भी किस्मत की बात थी।रामलाल के तीन बेटे थे। बड़ा बेटा पढ़ाई में कमजोर रहा और खेत-खलिहान में ही लग गया। दूसरा बेटा शहर जाकर मज़दूरी करता था। सबसे छोटे बेटे सूरज का विवाह रामलाल ने पड़ोस के गाँव की एक सीधी-सादी लड़की गौरी से कर दिया।
गौरी बचपन से ही सम्पन्न घर में पली-बढ़ी थी। उसके मायके में कभी कमी नहीं रही। लेकिन विवाह के बाद जब वह रामलाल के घर की बहू बनकर ससुराल आई, तो यहाँ का हाल देखकर उसके मन में क्षण भर को निराशा छा गई।
घर में चारपाई तक ठीक से नहीं थी, रसोई में बर्तन आधे टूटे हुए थे और आटा-चावल हमेशा नाप-नाप कर इस्तेमाल करना पड़ता था। लेकिन गौरी ने मन में ठान लिया अब यही मेरा घर है और यही मेरा परिवार। इसे सँवारना मेरी ज़िम्मेदारी है।
गौरी सुबह सबसे पहले उठती, घर का आँगन बुहारती, पास के कुएँ से पानी भर लाती और पूरे परिवार के लिए भोजन बनाती। उसकी सबसे बड़ी खासियत थी वह कभी भी हालात की शिकायत नहीं करती थी। मायके की सम्पन्नता याद जरूर आती, पर चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती।
धीरे-धीरे उसने घर की स्थिति बदलनी शुरू की। खेत में सब्ज़ियाँ उगाईं, मुर्गियाँ पाल लीं और गाँव की औरतों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने लगी। उसकी मेहनत और समझदारी से घर में थोड़ी-थोड़ी आमदनी बढ़ने लगी।
ससुराल वाले पहले तो सोचते थे कि यह लड़की मायके की रानी थी, यहाँ कैसे टिकेगी? लेकिन गौरी ने सबको गलत साबित कर दिया। उसकी लगन और मेहनत ने घर की कंगाली को कम करना शुरू कर दिया।
गाँव की औरतें अक्सर उससे कहतीं गौरी, तू तो अमीर घर की बेटी है, यहाँ तुझे कितनी तकलीफ़ होती होगी।
गौरी मुस्कराकर कहती सुख-दुख घर की हालत से नहीं, दिल की सोच से तय होते हैं। अगर हम मेहनत करें तो गरीबी भी हमें थका नहीं सकती।
कुछ सालों में गौरी की मेहनत और समझदारी से रामलाल का परिवार धीरे-धीरे संभलने लगा। बच्चे पढ़ने लगे, घर की हालत सुधर गई।
गाँव के लोग अब उसे प्यार से लक्ष्मी बहू कहने लगे।
यह कहानी हमें सिखाती है - गरीबी कोई अभिशाप नहीं, यदि मन में हिम्मत और कर्मठता हो। एक औरत का धैर्य, त्याग और मेहनत परिवार को संवार देता है।
जैसे मेरी आदत है मै आस पास सभी के घर व्यापार लोगो के जीवन को अपने दृष्टिकोण से देखती हू्ं उनकी खूबियां और खामियां भी को अपने नजरिये से ही देखती हू्ं । तो अभी भी समाज ऐसी महिलाएं है जो परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ उसे आर्थिक रूप मे मजबूत बनाए रखने मे हमेशा प्रयत्नशील रहती है मेरा सपोर्ट हमेशा ऐसी महिलाओ को रहता है ऐसी कोल डिगर्स को दिल से नमन 🙏
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