आजकल बहुत साधारण सी बात हो गयी है ये अगर आप किसी से उसकी पहचान पूछे सामने वाला उछलकर बोलता है हम बनिए , राजपूत, ब्राह्मण , जाट , यादव , गूजर और धाकड़ समुदाय / धर्म को मानने वाले हैं। कोई नही कहता कि हम हिंदू है
आज हमारे सबके देवता / भगवान अलग अलग हैं। वो हमारे ट्रेड मार्क भी बन चुके हैं। हम हमारी जाति समुदाय के लिए मर मिटने को हमेशा तैयार रहते हैं। जहां तक हो सके हमारे मंदिर भी जाति के अनुसार अलग अलग हैं यहां तक कि कहीं कहीं हमारे श्मशान भी जाति के अनुसार अलग अलग हैं। हमने ॐ और स्वस्तिक का प्रतीक चिन्ह को भी त्याग दिया है और इसके स्थान पर हमारी जाति के अनुसार हमने प्रतीक चिन्ह भी विकसित कर लिए हैं। किसी समय लगता था कि हम हिन्दू हैं लेकिन अब हम अपनी जाति पर हिन्दू होने से अधिक गर्व करते हैं। हम किसी हिन्दू को देखकर खुश नहीं होते वरन हम अपनी जाति के किसी व्यक्ति को देखकर अत्यंत खुश होते हैं। हमने अपनी जाति के अनुसार जनगणनायें कराना शुरू कर दिया है। जाति के अनुसार स्कूल , धर्मशालाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जातिवाद मे डूबे लोग बड़े गर्व से कहते है कि " जिस जाति में जन्म लिया है उसका कर्ज उतार रहा हूँ "। क्या कहना चाहते है वो कि उन्होंने हिन्दू के घर जन्म नहीं लिया बल्कि किसी जाति विशेष के घर जन्म लिया है। तभी तो किसी धोबी की पिटाई होती है तो राजपूत खड़ा खड़ा तमाशा देखता है और जब किसी बनिए को लूटा जाता है तो कोई जाट खुश होता है।
यदि आज हम हिन्दू होते तो क्या मजाल कोई विधर्मी हिंदुओं की महिलाओं को जबरन उठा के ले जाए। क्यों हम विधर्मी जिहादियों से डरकर कैराना छोड़कर भाग जाते ? हम हिन्दू होते तो हम दुश्मन की ईंट से ईंट नहीं बजा देते ? अब भी समय है। जाति वाद छोडो और हिन्दू बन जाओ। देश में हर जाति अल्पसंख्यक हैं लेकिन फिर भी संविधान जातियों को अल्पसंख्यक नहीं मानता। किसी धर्म विशेष को ही अल्पसंख्यक मानता है। फिर क्यों हम जातिवाद का विष समाज में घोल रहे हैं ? अब भी समय है एक होने का। अन्यथा धर्मपरिवर्तन का लालची अजगर हमारी और मुंह फैलाए बैठा है। हमारा महाविनाश होना तय है। आज के पचास साल बाद भारत में हम घटकर 50 प्रतिशत रह जायेंगे फिर देखना हमारा क्या हाल होता है ?
आज हिंदुस्तान के अनेक राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक है फिर भी वहां का हिन्दू संगठित नहीं है बल्कि वहां के हिन्दू खुद हिन्दू हितैषी संस्थाओं का घोर विरोधी है। जैसे बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा ,केरल, आसाम आदि। यहां आज तक आर एस एस जैसे संगठन का अधिक प्रचार प्रसार नहीं है। यहां धीरे धीरे एक सोची समझी योजना के तहत हिन्दू को अल्पमत में लाने का प्रयास हो रहा है। एक दिन वह होगा जब यहां के हिन्दू खदेड़ दिए जायेंगे या जबरन उनको मुस्लिम या ईसाई बना लिया जाएगा । हम हिन्दू आने वाले खतरे के बारे में पूर्व विचार नहीं करते , केवल अपने स्वार्थ में लगे रहते हैं या फिर एक दूसरे की टांग खिंचाई में व्यस्त रहते हैं। जब खतरा उपस्थित होता है तब हाय तौबा मचाते हैं। हिन्दू कभी भी शस्त्र नहीं उठाता , जब मार काट की नौबत आती है तो जो अभिमानी और मुकाबला करने वाले होते हैं वे सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन कर जाते हैं या संघर्ष में मारे जाते हैं। जो हिन्दू कायर , मौकापरस्त और सेक्युलर दिमाग होते हैं वे यह सोचकर कि धर्म में क्या रखा है वे मुस्लिम या ईसाई बन जाते है। इतिहास इस बात का गवाह है , आज तक ऐसा ही हुआ है। हिन्दू ही वह व्यक्ति है जो विपत्ती आने पर सबसे पहले अपने धर्म को छोड़ता है। फिर अपने देवी देवताओं का अपमान करता है। हिन्दू उस कबूतर की तरह है जो बिल्ली को देखकर आँख मूंद लेता है। और सोचता है कि बिल्ली का खतरा टल गया।
गर्व से कहो हम हिन्दू है
यदि मैं कहूं क्या आपको हिन्दू होने में गर्व है ? तो बहुत से लोग कहेंगे कि यह क्या बात हुई ? जरूर यह आर एस एस से है। तो क्या आर एस एस के आदमी बुरे होते हैं ? वे क्या तुम्हारा अहित चाहते हैं ? जब केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों मे आर एस एस के लोग हिंदुत्व विचारधारा का प्रचार करते हुए अपनी जान गवा देते है तब क्यो चुप रहते हो इसी एक आदत की वजह से ये हाल हुआ हिंदुओं का कुछ करने की हिम्मत भी नही है लेकिन जो आगे बढ़ रहा है धर्म के लिए उसको पीछे घसीटने मे कोई कसर नही छोड़ते है।जैसे दूसरे धर्मावलम्बियों के सामाजिक संगठन है वैसे हिन्दुओं का भी एक सबसे बड़ा संगठन आर एस एस है। जो हिन्दू हितों के लिए लगातार चिन्तनरत और प्रयासरत है। आर एस एस और विश्व हिन्दू परिषद् ने सोये हुए हिन्दुओं को जगाने और उनमें गर्व की भावना भरने के लिए एक नारा दिया था " गर्व से कहो हम हिंदू हैं। "
बहुत से हिंदू ऐसे है जो भजन से अधिक कव्वाली पसंद करते हैं , मंदिर से अधिक मजार में हाजिरी लगाना पसंद करते हैं , अपने बच्चों के नाम मुस्लिम बच्चों के नाम से मिलता जुलता रखना पसंद करते हैं। मैंने तो एक महाशय से यहां तक कहते सुना है कि क्या होगा यदि भारत का इस्लामीकरण हो गया तो राम के स्थान पर रहीम ही तो कहना पड़ेगा।
मुसलमानो की इस मामले में तारीफ करनी होगी , उनकी आस्था अपने धर्म में दृढ होती है। कैसी भी मुसीबत हो वे कभी भी अपने धर्म पर आंच नहीं आने देते। जबकि आज के हिन्दू की अपने धर्म के प्रति आस्था डगमगा रही है। वे बच्चों को धार्मिक शिक्षा से दूर रखने का प्रयत्न करते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि ऐसा करने से उनके बच्चे स्मार्ट और आधुनिक बनेंगे।
हिन्दू धर्म का पतन क्यों हुआ
क्या आपने सोचा कि हिन्दू धर्म का पतन क्यों हुआ ? आप सोचिये कहीं इसका एक कारण यह तो नहीं ?
हिन्दू गरीब हो या अमीर सभी मंदिर में अपनी हैसियत के अनुसार धन चढ़ाते हैं। जिससे मंदिर के रोजमर्रा के खर्चे तथा पंडित जी के परिवार का पालन पोषण होता है। लेकिन हमारे बहुत से मंदिर ऐसे भी हैं। जिनके पास अकूत धन सम्पदा है। मुगल भारत में लूट के लिए ही आते थे। उनहोंने अनेक मंदिरों को लूटा , नरसंहार किया तथा साथ ही प्राप्त धन को अपने साथ ले गए। इसका एक उदाहरण सोमनाथ का मंदिर है। आज भी हमारे मंदिरों में बहुत सारा धन है। यह धन समाज का है।
आप देखिये चर्च और मस्जिदों में जो धन होता है , उस धन से वे कान्वेंट और मदरसे खोलते हैं , फिर यही धन हमारे बच्चों को हिन्दू संस्कृति से दूर करने हेतु काम आता है। यहां तक की इस धन से हिन्दुओं का धर्मान्तरण भी करवाया जाता है।
हमारे मंदिरों में जो अथाह धन सम्पदा भरी पडी है , उसे समाज के काम आना चाहिए। क्यों नहीं उस धन से स्कूल , कालेज और विश्वविद्यालय खोले जाते ? क्यों नहीं उस धन से अनाथालय और छात्रावास खोले जाते ? क्यों नहीं इस धन का उपयोग दलित और गरीब हिन्दुओं के कल्याण पर खर्च किया जाता ?
यदि इस धन का सदुपयोग होगा तो कोई हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होगा। कोई हिन्दू धर्मपरिवर्तन नहीं करेगा।
क्या हिन्दू मुर्ख है
क्या हिन्दू मूर्ख हैं? क्या हिन्दूओं ने इतिहास से कुछ सीखा? क्या हिन्दूओं में कभी एकता हो पायेगी? क्या हिन्दू किसी विपत्ति का मिलकर मुकाबला करेंगे? क्या हिन्दू कभी अपने बारे चिन्तन करेंगे? मुझे लगता है, हिन्दू मर जायेगा मिट जायेगा किन्तु कभी एक नहीं होगा। जो उसको जगाने का प्रयास करेगा, जो उसके बारे में सोचेगा वह उसी का विरोधी हो जायेगा। मुगल बादशाहों ने जो किया वह आज भी हो रहा है। चाहे कश्मीर हो, चाहे कैराना हो या धूलागढ हो कोई अन्त नहीं है। हिन्दू उसी के दुश्मन हो जाते हैं जो उनके लिए लडता है। हिन्दू वीर थे , वीर हैं इसमें कोई शक नहीं है। किन्तु अपनी मुर्खता के कारण अपनी दुर्दशा के लिए स्वयं जिम्मेदार भी हैं।आप स्वयं इस कहानी से समझ सकते हैं---
बाबर और राणा सांगा में भयानक युद्ध चल रहा था। बाबर ने युद्ध में पहली बार तोपों का इस्तमाल किया था। उन दिनों युद्ध केवल दिन में लड़ा जाता था.....
शाम के समय दोनों तरफ के सैनिक अपने-अपने शिविर में आराम करते थे। फिर सुबह युद्ध होता था। लड़ते-लड़ते शाम हो चली थी। दोनों तरफ के सैनिक अपने शिविर में भोजन कर रहे थे, बाबर टहलते हुए अपने शिविर के बाहर खड़ा दुश्मन सेना को कैम्प देख रहा था। तभी उसे राणा सांगा की सेना के शिविरों से कई जगह से धुआं उठता दिखाई दिया। बाबर को लगा कि दुश्मन के शिविर में आग लग गई है। उसने तुरंत अपने सेनापति मीर बांकी को बुलाया और पूछा देखो, दुश्मन के शिविर में आग लग गई है। शिविर में पचासों जगहों से धुएं निकल रहे हैं.....
सेनापति ने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया:- "जाओ, पता लगाओ कि दुश्मन के सैन्य शिविर से इतनी बड़ी संख्या में इतनी जगहों से धूएं का गुबार क्यों निकल रहा है??? गुप्तचर कुछ देर बाद लौटे। उन्होंने बताया कि हुजुर, दुश्मन सैनिक सब हिन्दू हैं। वो एक साथ एक जगह बैठ कर खाना नहीं खाते। सेना में कई जाति के सैनिक है, जो एक दुसरे का छुआ नहीं खाते। इसलिए सब अपना भोजन अलग-अलग बनाते हैं। एक दुसरे का छुआ पानी तक नहीं पीते.......
ये सुनकर बाबर खूब जोर से हंसा। काफी देर हंसने के बाद उसने अपने सेनापति से कहा कि मीरबांकी, फ़तेह हमारी होगी, ये क्या हमसे लड़ेंगे?? जो सेना एक साथ मिलकर बैठकर खाना तक नहीं खा सकती वो एक साथ मिलकर दुश्मन के खिलाफ कैसे लड़ेगी??......
तीन दिनों में राणा सांगा की सेना मार दी गई और बाबर ने मुग़ल शासन की नीव रखी। लेकिन हिन्दू आज भी उतने ही मूर्ख है, जितने पहले थे।
Baisa hukum ji macaulay policies make our last few generation in such a positiin that majority of our population is suffering from idenity crisis, for example as a rajput what we see in our society that most of youth qe see around hardly knows what being rajput is all about.. it is the case with every class .. which our enemies narrative, which put us in position of becoming more n more like these monotheist.. which is necessary to keep dividing and rule
ReplyDeleteSorry i'm not pointing out anyone special coz everyone involved in that
DeleteTo use this point, our enemies have been winning for us while caste and subclasses are found in every religion, but the divisions are only in us.
Need to wake-up
How to wake up is good point.. n all should focus on
Delete...it is psychological warfare,and dharmics are on wright path, by correcting from past mistakes, to keep thia gr8 civilization survive, such like present goverment policy, women led empowerment (not women empowerment one) and many more things which we should not share here as it takes time to be visble at grass root level