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Wednesday, 22 December 2021

नामुमकिन कुछ भी नही


 ये बात तो सही है कि मै स्वयं से रिलेटेड सभी चीजों को बहुत महत्तव देती हूं और बहुत पसंद भी करती हूं लेकिन उसकी वजह से किसी और की कामयाबी से मैने नफरत या जलन महसूस नही की । क्या जरूरत है मुझे ऐसा करने की ?? सिर्फ इतना ही कहूंगी कि मैने स्वयं को कभी किसी से कम नही समझा तो किसी की तरक्की से क्यो नफरत करू??  

फिलहाल आज बात करते है एक ऐसी लेडी की जिन्होंने अपना परचम लहराया है उम्र के उस मुकाम पर जब लोग रिटायरमेंट का सोचते है और यहां तो इन्होने शुरूआत की है 

फाल्गुनी नायर को 2012 में नायका को शुरू करने का विचार आया था। उस समय उनकी उम्र 50 साल से कुछ ही महीने कम थे। नायका का उद्देश्य देश में महिलाओं और पुरुषों को ऑनलाइन सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध कराना था। उस समय अधिकतर भारतीय सौंदर्य उत्पादों को खरीदने के लिए पड़ोस की छोटी दुकानों पर निर्भर थे। नायका के लॉन्च के साथ सौंदर्य और स्किन केयर से जुड़े उत्पाद अब बस फोन पर एक क्लिक दूर थे। इसके साथ नायका ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को अपने प्लेटफॉर्म पर लाई और अपने कैटेगरी में लगातार बढ़ोतरी की। कई कैटगरी में मौजूद विकल्प या उत्पादों को तो पहली बार नाएका पर ही देखा गया। 

दलाल स्ट्रीट पर 10 नवबंर को धमाकेदार एंट्री करने वाली नायका , देश की इकलौती ऐसी यूनिकॉर्न कंपनी है, जिसकी अगुआई एक महिला कर रही हैं। यूनिकॉर्न उन कंपनियों को कहते हैं, जिनकी मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गई हो। नायका शेयर बाजार में बुधवार को अपनी CEO और फाउंडर फाल्गुनी नायर (Falguni Nayar) की नेट वर्थ को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। 58 वर्षीय फाल्गुनी नायर अब भारत की सबसे अमीर सेल्फ-मेड महिला अरबपति बन गई हैं। 

AFP की एक रिपोर्ट के मुताबिक फाल्गुनी नायर अब दुनिया की सबसे अमीर लोगों में से एक है। साल 2012 में नायका की स्थापना करने वाली फाल्गुनी नायर अब ब्लूमबर्ग के इंडिया बिलेनियर्स इंडेक्स में शामिल हो गई। खास बात यह है कि इस इंडेक्स में नायर के अलावा सिर्फ छह अन्य महिला अरबपति शामिल हैं। 

नेशलन स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी कंपनी के लिस्टिंग से पहले फाल्गुनी नायर ने कहा, "मैंने नायका को 50 साल की उम्र में शुरू किया था। उस वक्त मुझे कारोबार को लेकर कोई अनुभव नहीं था। मुझे उम्मीद है कि नायका का सफर आप में से प्रत्येक को अपने जीवन का नायक बनने के लिए प्रेरित कर सकता है।" 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाल्गुनी नायर के पास नायका के करीब 50 पर्सेंट शेयर हैं, जिनकी वैल्यू इस समय 6.5 अरब डॉलर हैं। नायका के शेयर बुधवार को लिस्टिंग के बाद करीब 89 पर्सेंट की उछाल के साथ कारोबार कर रहे थे।

सिर्फ इतना ही नही जहां दूसरी ऑनलाइन शॉपिंग कम्पनियां कैश बैक और सस्ते मे सबसे अच्छा देने की होड़ मे अभी तक कोई मुनाफा नही कमा पाई वही सिर्फ नायका ने अपने लॉजिस्टिक पार्टनर्स और थर्ड पार्टी से डायरेक्ट डीलिंग करके अपने ग्राहकों को बेहतर से बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करवाकर मुनाफा कमाने के साथ साथ अपनी वैल्यू भी बनाई है । 

इतना ही नही नायका के साथ पेटीएम और जोमेटो जैसी सफल कम्पनियों के भी स्टॉक ने प्रवेश लिया । लेकिन औंधे मुंह गिरे है बाजार मे क्योकि शायद इनकी भावना कुछ नौसिखिए लोगो से पैसे लूटना मात्र है इन्हे पता ही नही है कम्पनी का उद्देश मार्केट मे आकर सिर्फ पैसा कमाना नही होता खैर जो जीता वही सिकन्दर ।।

एक महिला जो सभी की प्रेरणा बन गयी किसने ध्यान दिया इनकी धर्म या कास्ट पर ?? धर्म जाति वर्ण तो हमे भगवान ने दिया उनके दिए जीवन को हमने कैसे तराशा ये खास बात होती है ।

मैने अपने प्रोफेशन मे विजय माल्या से लेकर फाल्गुनी नायर तक (वो जिन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया )सभी को एक समान सम्मान दिया है और सही होने पर भी उनको गलत कहने वालो के सामने सच आज भी कह सकती हूं ।   धर्म, कास्ट, परिवार हमे भगवान ने दिया अब स्वयं को श्रेष्ठ या उत्तम हमे अपनी गुणो और स्वयं अर्जित क्षमताओ से बनाना है और वहां तक पहुचनें के लिए इन भेदभाव इर्ष्या जलन सब ओछे शब्द है मेरे लिए और शायद हमेशा रहेंगे ।  इतने शक्तिशाली होते हुए भी हनुमान जी ने कभी राम जी से जलन ईर्ष्या नही की तो मै कैसे कर सकती हूं । हमेशा से अपने से बड़ो और श्रेष्ठ के बीच रही हूं । 








Saturday, 6 November 2021

अनुभव

* ट्रेवलिंग के दौरान जब शहर के बाहर या उससे भी कही ज्यादा दूर कुछ बहुत छोटे से मिट्टी के झोपडी़नूमा घर जरूर दिख जाते है जिनमे स्पेस बहुत ही कम होता है । कभी सोचा कैसे रहते है उसमे पूरे परिवार ?

* हर इंसान ने अपनी लाइफ मे शारीरिक तौर पर विकलांग व्यक्तियों को जरूर देखा होगा । ऐसे लोगो की भी इच्छा होती होगी न्यू फैशन ट्रेंड फॉलो करने की गुड लुक्स की कितनी बार दुखी होते होंगे ??

* स्कूल से लेकर मौजूदा समय मे  किसी न किसी को तो देखा होगा जिसके पैरेंटस या कोई गॉर्जन नही होता मतलब कोई नही अच्छा बुरा बताने के लिए, प्यार से बात करने के लिए, एक सेक्योरिटी प्रोवाइड करने के लिए। अच्छा बुरा सही गलत सबकी जिम्मेदारी स्वयं पर ही है ।

* उनमे से बहुत से लोग ऐसे भी होते है जिनके पास कोई फाइनेंशियल बैकअप नही होता आज जितनी मेहनत की है सिर्फ उतने ही पैसे उनके पास है कल क्या करेंगे किसी को नही पता ।

ये सब देखने के बाद महसूस होता है कि हमे भगवान जी ने बहुत अच्छा जीवन दिया है । समस्याएं तो सबके जीवन की सुविधाओं की को-पार्टनर है 

मतलब जावेद अख्तर ने सही कहा है - 

" ज़िन्दगी है तो ख्वाब हैं , ख्वाब हैं तो मंज़िलें हैं |

मंज़िलें हैं तो फासले हैं, फासले हैं तो रास्ते हैं |

रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं, मुश्किलें हैं तो हौसला है |

हौसला है तो विश्वास है क्यूंकि 'फाइटर' हमेशा जीतता है "



Tuesday, 21 September 2021

आजकल के लाइफस्टाइल मे जहां प्रो शब्द को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है वही पर लोगो की फिटनेस लेवल के हालात बहुत ही खराब है और आश्चर्य तब होता है कि लोगो को इससे कोई फर्क भी नही पड़ता ।

सुबह उठते ही अपने प्रोफेशन के लिए रेडी हो और रात मे जैसे तैसे सब खत्म कर सो जाओ बस इतनी सी है ये सो कॉल्ड लाइफस्टाइल .. 🤯

पहले तो लोग ध्यान न देकर अपनी फिटनेस खराब कर लेते है और जब एहसास होता है तो दिमाग मे यही चलता है जल्द से जल्द अपना वजन कम करने के लिए क्या करना चाहिए जैसे मानो ये रातो रात फिट एन्ड हैल्दी हो जाएंगे ।क्योकि ऐसे प्रो लोगो की सारी बीमारियों की समस्या इनकी अनमैनेज लाइफस्टाइल ही होती है । 

और फिर दादी नानी के नुस्के, टोटके, यूट्यूब के यूजलेस वीडियो को फालो करना, या किसी के भी कहने पर कुछ भी करना । टाइम जो नही है और हालत पहले से खराब है ।

जबकि सारा खेल इस खराब लाइफस्टाइल से ही शुरू होता है पहले वर्क ओवरलोड, गलत खानपान साथ ही ज्यादा समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना मतलब एक्टिविटी का कम होना जिसके फलस्वरूप लो, हाई ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, फैट के साथ हार्मोनल डिसबैलेंस होना जो लगभग सभी बीमारियों के जन्मदाता है ।

आजकल की ऐसी भेड़चाल मे कुछ लोग है जो स्वंय को बाकी सारी चीजो से ज्यादा प्राथमिकता देते है । ऐसा नही है उनपर कोई वर्क प्रेशर नही है लगभग सभी ने अपनी फिल्ड मे काफी अच्छा किया है ।

लेकिन स्वंय को महत्तव पहले दिया है अपनी हर चीज को पहली प्राथमिकता देकर अपनी खुशनुमा जिंदगी से लोगो को अपने जैसा बनाने के लिए लोगो को प्रेरित करते रहते है । 

बात सिर्फ इतनी सी है हमारा ये शरीर हमारा साथ हमेशा देता है चाहे समय अच्छा हो या खराब, सुख हो या दुख, चाहे जितनी बड़ी परेशानी क्यो न हो अगर आपने इस शरीर की देखभाल की है तो ये शरीर आपका आपके दुख- सुख परेशानियों मे बख़ूबी साथ देता है ।

ऐसा कह सकते है आपका सबसे अच्छा दोस्त आपका शरीर है इसका ख्याल रखे इसे खुश रखे फिर देखिए जिंदगी कैसे बदल जाती है शायद तब बुरी परिस्थितियां भी शायद इतनी बुरी न लगे ।



Saturday, 1 May 2021

भूले बिसरे उत्पाद



कहते है वक्त किसी के लिए नही रूकता कभी जीरो से शुरूआत करके टॉप पर पंहुचने वाली कंपनियां कल को अचानक से गायब हो जाती है।

आज के इस पोस्ट में हम कुछ ऐसी कंपनियों के बारे में बात करेंगे जो किसी जमाने में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध थे, परंतु आज उनका नामो निशान तक नहीं है। उनका अस्तित्व लगभग लगभग या तो खत्म हो चुका है अथवा उनका दिवालिया निकल गया है। इनमें से कई कंपनियों के बारे में आपने सुना भी होगा और हो सकता है आप इन कंपनियों के कई प्रोडक्ट को इस्तेमाल भी कर चुके होंगे। यह कंपनियां इतनी बड़ी थी कि इनका खत्म होना बिल्कुल नामुमकिन था। लेकिन समय के साथ यदि हम खुद को अपडेट न करें तो यह हमारे लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।

अमृत एग्रो : यह कंपनी भारत में अंकल चिप्स नाम से चिप्स निकालती थी जो साल २००० तक भारत का सबसे ज्यादा बिकने वाला चिप्स ब्रांड था (७०% मार्किट शेयर)। पेप्सी ने लेस चिप्स को फैलाने के लिए अमित एग्रो को खरीद कर बंद कर दिया लेकिन अंकल चिप्स ब्रांड को ज़िंदा रखा।

बोले मेरे लिप्स, आई लव अंकल चिप्स 😁😁





ई बे इंडिया : फ्लिपकार्ट और अमेज़न के आने से पहले भारत में ईबे का काफी व्यापार था। 2017 में फ्लिपकार्ट ने ईबे को 1000 करोड़ रुपये में खरीदकर बंद कर दिया।







हिंदुस्तान मोटर्स : 70 और 80 के दशक में भारत की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी। एम्बेसडर और कॉन्टेसा इस कंपनी के सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ियां थी।




ब्लैकबेरी : एक समय की बात है कि ब्लैकबेरी को एप्पल से कम नहीं माना जाता था। कई लोगों को तो एप्पल से ज्यादा ब्लैकबेरी पर भरोसा था। उस समय ब्लैकबेरी का स्मार्टफोन भी प्रयोग करना एप्पल से कम नहीं माना जाता था। परंतु एक समय ऐसा आया कि आज ब्लैकबेरी का नामोनिशान तक नहीं है।



किंगफ़िशर एयरलाइन्स : किंगफिशर एयरलाइंस अपने सस्ते फ्लाइट टिकट्स की वजह से जानी जाती थी। परंतु आज यह कंपनी पूरी तरह से डूब गई है।




कोडक : दुनिया की सबसे बड़ी कैमरा बेचने वाली कंपनी का आज के समय दिवालिया निकल चुका है।





लोहिया मोटर वर्क्स (LML) : LML वेस्पा, LML फ्रीडम बाइक आपको याद होगा। ९० के दशक में पीएज़िओ कंपनी के साथ मिलकर LML piaggio स्कूटर भी निकालती थी। लेकिन अब यह कंपनी बंद हो चुकी है।




गम इंडिया लिमिटेड : बिग फन च्वेइंग गम याद है? हर च्विंग गम के साथ एक क्रिकेटर का स्पोर्ट्स कार्ड मुफ्त मिलता था।

BPL : जानी मानी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का आज के समय में दिवालिया निकल चुका है।


फ़िएट प्रीमियर : फ़िएट कंपनी और प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स की जॉइंट वेंचर भारत में प्रीमियर पद्मिनी नाम से गाडी बनाती थी जो आज भी काली पीली टैक्सी के रूप में देखने को मिलती है।



Sunday, 4 April 2021

आखिर राजा जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा ??



कही मूवीज की यूजलेस स्टोरीज, तो कही न्यूज फैक्ट पर या फिर कही भी किसी भी घटना को लॉजिकल रूप मे अपने सवाल करने के बाबजुद किसी के दिमाग मे आजतक शायद ये आया ही नही कि राम जी को निमंत्रण क्यो नही मिला सीता जी के स्वयंवर का और फिर सबसे पहले तो लक्ष्मण जी को इसबात पर गुस्सा करना चाहिए था क्योकि एक भाई के रूप मे मै तो इसे अपने बड़े भाई के अपमान जैसा लेती ।
लेकिन यहाँ भी कारण था और सही भी था  ।

राजा जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ। जब वह पहली बार सज-सँवरकर ससुराल के लिए चला, तो रास्ते में चलते-चलते एक जगह उसको दलदल मिला, जिसमें एक गाय फँसी हुई थी, जो लगभग मरने के कगार पर थी। उसने विचार किया कि गाय तो कुछ देर में मरने वाली ही है तथा कीचड़ में जाने पर मेरे कपड़े तथा जूते खराब हो जाएँगे, अतः उसने गाय के ऊपर पैर रखकर आगे बढ़ गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा गाय ने तुरन्त दम तोड़ दिया तथा शाप दिया कि जिसके लिए तू जा रहा है, उसे देख नहीं पाएगा, यदि देखेगा तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी।
वह व्यक्ति अपार दुविधा में फँस गया और गौ-शाप से मुक्त होने का विचार करने लगा। ससुराल पहुँचकर वह दरवाजे के बाहर घर की ओर पीठ करके बैठ गया और यह विचार कर कि यदि पत्नी पर नजर पड़ी, तो अनिष्ट नहीं हो जाए। परिवार के अन्य सदस्यों ने घर के अन्दर चलने का काफी अनुरोध किया, किन्तु वह नहीं गया और न ही रास्ते में घटित घटना के बारे में किसी को बताया।
उसकी पत्नी को जब पता चला, तो उसने कहा कि चलो, मैं ही चलकर उन्हें घर के अन्दर लाती हूँ। पत्नी ने जब उससे कहा कि आप मेरी ओर क्यों नहीं देखते हो, तो भी चुप रहा। काफी अनुरोध करने के उपरान्त उसने रास्ते का सारा वृतान्त कह सुनाया। पत्नी ने कहा कि मैं भी पतिव्रता स्त्री हूँ। ऐसा कैसे हो सकता है? आप मेरी ओर अवश्य देखो। पत्नी की ओर देखते ही उसकी आँखों की रोशनी चली गई और वह गाय के शापवश पत्नी को नहीं देख सका।
पत्नी पति को साथ लेकर राजा जनक के दरबार में गई और सारा कह सुनाया। राजा जनक ने राज्य के सभी विद्वानों को सभा में बुलाकर समस्या बताई और गौ-शाप से निवृत्ति का सटीक उपाय पूछा। सभी विद्वानों ने आपस में मन्त्रणा करके एक उपाय सुझाया कि, यदि कोई पतिव्रता स्त्री छलनी मेम गंगाजल लाकर उस जल के छींटे इस व्यक्ति की दोनों आँखों पर लगाए, तो गौ-शाप से मुक्ति मिल जाएगी और इसकी आँखों की रोशनी पुनः लौट सकती है।
राजा ने पहले अपने महल के अन्दर की रानियों सहित सभी स्त्रियों से पूछा, तो राजा को सभी के पतिव्रता होने में संदेह की सूचना मिली। अब तो राजा जनक चिन्तित हो गए। तब उन्होंने आस-पास के सभी राजाओं को सूचना भेजी कि उनके राज्य में यदि कोई पतिव्रता स्त्री है, तो उसे सम्मान सहित राजा जनक के दरबार में भेजा जाए।
जब यह सूचना राजा दशरथ (अयोध्या नरेश) को मिली, तो उसने पहले अपनी सभी रानियों से पूछा। प्रत्येक रानी का यही उत्तर था कि राजमहल तो क्या आप राज्य की किसी भी महिला यहाँ तक कि झाडू लगाने वाली, जो कि उस समय अपने कार्यों के कारण सबसे निम्न श्रेणि की मानी जाती थी, से भी पूछेंगे, तो उसे भी पतिव्रता पाएँगे। राजा दशरथ को इस समय अपने राज्य की महिलाओं पर आश्चर्य हुआ और उसने राज्य की सबसे निम्न मानी जाने वाली सफाई वाली को बुला भेजा और उसके पतिव्रता होने के बारे में पूछा। उस महिला ने स्वीकृति में गर्दन हिला दी।
तब राजा ने यह दिखाने कर लिए कि अयोध्या का राज्य सबसे उत्तम है, उस महिला को ही राज-सम्मान के साथ जनकपुर को भेज दिया। राजा जनक ने उस महिला का पूर्ण राजसी ठाठ-बाट से सम्मान किया और उसे समस्या बताई। महिला ने कार्य करने की स्वीकृति दे दी। महिला छलनी लेकर गंगा किनारे गई और प्रार्थना की कि, ‘हे गंगा माता! यदि मैं पूर्ण पतिव्रता हूँ, तो गंगाजल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरनी चाहिए।’ प्रार्थना करके उसने गंगाजल को छलनी में पूरा भर लिया और पाया कि जल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरी। तब उसने यह सोचकर कि यह पवित्र गंगाजल कहीं रास्ते में छलककर नीचे नहीं गिर जाए, उसने थोड़ा-सा गंगाजल नदी में ही गिरा दिया और पानी से भरी छलनी को लेकर राजदरबार में चली आयी।
राजा और दरबार में उपस्थित सभी नर-नारी यह दृश्य देक आश्चर्यचकित रह गए तथा उस महिला को ही उस व्यक्ति की आँखों पर छींटे मारने का अनुरोध किया और पूर्ण राजसम्मान देकर काफी पारितोषिक दिया। जब उस महिला ने अपने राज्य को वापस जाने की अनुमति माँगी, तो राजा जनक ने अनुमति देते हुए जिज्ञाशावश उस महिला से उसकी जाति के बारे में पूछा। महिला द्वारा बताए जाने पर, राजा आश्चर्यचकित रह गए।
सीता स्वयंवर के समय यह विचार कर कि जिस राज्य की सफाई करने वाली इतनी पतिव्रता हो सकती है, तो उसका पति कितना शक्तिशाली होगा? यदि राजा दशरथ ने उसी प्रकार के किसी व्यक्ति को स्वयंवर में भेज दिया, तो वह तो धनुष को आसानी से संधान कर सकेगा और कहीं राजकुमारी किसी निम्न श्रेणी के व्यक्ति को न वर ले, अयोध्या नरेश को राजा जनक ने निमन्त्रण नहीं भेजा, किन्तु विधाता की लेखनी को कौन मिटा सकता है? अयोध्या के राजकुमार वन में विचरण करते हुए अपने गुरु के साथ जनकपुर पहुँच ही गए और धनुष तोड़कर राजकुमार राम ने सीता को वर लिया।
मुझे ये कथा काफी रोचक लगी तो यहाँ शेयर कर रही है सोर्स कंफर्म नही है लेकिन ये एक हिंदू धार्मिक पंचाग एप्प से ली गयी है ।।

एक राजा बहुत दिनों बाद अपने बगीचे में सैर करने गया, पर वहां पहुँच उसने देखा कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। राजा बहुत चिंतित हुआ, उसने इसक...